
दैनिक डान की एक रिपोर्ट के मुताबिक लाल मस्जिद के दारुल अफ्ता ने जारी फतवे में कहा कि सरकार नीलोफर को सजा दे और बर्खास्त करे। मांग करने वाले मौलानाओं में अब्दुल अजीज और अब्दुर राशिद गाजी मुख्य हैं जिन्हें परवेज मुशर्रफ के प्रबुद्धतापूर्ण उदारवाद की कट्टर हिमायतियों में से जाना जाता है। इस मुद्दे को हल करने के लिए पाकिस्तान के वरिष्ठ नेताओं ने अजीज और गाजी से बंद कमरे में मुलाकात की है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री शहनाज शेख का कहना है कि दारूल अफ्ता के पास किसी के खिलाफ फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष अस्मा जहांगीर ने कहा कि फतवा को कोई महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। अपनी मनमर्जी से कोई फतवा जारी करने का उनका क्या अधिकार है। बेनजीर भुट्टो की सूचना सचिव शेरी रहमान का कहना है कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। भारत में एक टीवी चैनल ने छुपे कैमरे से कुछ महीने पहले स्टोरी दिखाई थी जिसमें बताया गया था कि फतवे पैसे लेकर भी जारी किए जाते हैं।
1 comment:
फतवे का विरोध पाकिस्तान में भी हो रहा है । इस्लामिक देश होने के बाद भी यहां फतवों के नाम पर बकवास का विरोध हो रहा है । कमल जी ठीक किया आपने इसे ब्लाग पर लाकर ।। ज्यादा लोग जान जाएंगे । फतवे बाद की प्रतिक्रिया हैं । नीलोफर जी का पाराग्लाइडिंग करना उससे पहले का फैसला । यानी जीवन अपने हिसाब से जीया जा रहा है । अच्छा हुआ फतवो से पता चल गया कि पाकिस्तान में कोई महिला मंत्री भी है और वो पाराग्लाइंडिंग भी कर सकती है । वो भी किसी दूसरे मर्द की बाहों में ।
रवीश कुमार
कस्बा से
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