लगभग 25 साल पहले भारत को विश्व कप में खिताबी जीत दिलाने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव के राज्य हरियाणा के 28 गांवों ने इस खेल पर रोक लगाने का फैसला किया है। इन गांवों की पंचायतों ने न सिर्फ क्रिकेट खेलने बल्कि उसकी चर्चा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध को तोड़ने वाले परिवारों की सात पीढि़यों को सामाजिक दंड भुगतना पड़ेगा।
हरियाणा के जींद जिले में 28 गांवों की सर्वजातीय दाड़न खाप ने इन गांवों में क्रिकेट खेलने और देखने पर तुरंत प्रभाव से पूरी तरह रोक लगा दी है। अब जो भी इन गांवों में क्रिकेट खेलेगा उन पर जुर्माना लगाने के अलावा उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाएगा। पंचायतों ने अपने इस फैसले को सख्ती से लागू कराने और निगरानी रखने के लिए खाप के हर गांव में दो सदस्यीय समिति का भी गठन कर दिया है। पंचायत ने क्रिकेट खेलने पर जिस सामाजिक 'धेला कोड़ी दंड' का प्रावधान किया है, वह सिर्फ एक पीढ़ी को नहीं बल्कि परिवार की सात पीढि़यों को भुगतना पड़ेगा। इसे बाकायदा पंचायत की बही में लिखा जाएगा। पंचायत के इस फैसले के बाद 28 गांवों में क्रिकेट खेलना और देखना पूरी तरह बंद हो गया है। मेरी टिप्पणी ठीक ही किया, बच्चों को राष्ट्रीय खेल हॉकी सीखाना। क्रिकेट में हो सकता है अगली बार हम बरमूडा से भी हार जाएं।
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3 comments:
क्रिकेट पर भले ही पाबंदी लग जाए पर खिलाड़यों के चौके छक्के तो लगते रहेंगे (पैसे कमाने के लिए)। बच्चे क्रिकेट नहीं खेलेंगे तो एक फ़ायदा यह है कि उन्हें गोल का अर्थ तो समझ आ ही जाएगा, और यदि हाथ में लकड़ी पकड़कर खेलने भी लग जाएँ तब तो क्रिकेट को बैन कर ही दिया जाए।
यह समाचार इंगित करता है कि अभी भी जागरूकता मरी नहीं है। भगवान करे यह जागृति पूरे भारत में फैले।
यह समाचार इंगित करता है कि अभी भी जागरूकता मरी नहीं है। भगवान करे यह जागृति पूरे भारत में फैले।
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