April 6, 2007
जींस पैंट व हॉफ शर्ट नहीं चलेगा यहां
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अब जो भी अधिकारी जींस पैंट और हॉफ शर्ट पहनकर आएगा उसकी खैर नहीं। अदालत ने अनौपचारिक कपड़े पहनकर आने वाले सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि कपड़े पहनने हैं तो सलीके के वरना डांट फटकार से उन्हें शर्मसार होना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने ऐसे तड़क-भड़क वाले पहनावे के साथ आए कुछ अधिकारियों को फटकार भी लगाई। न्यायमूर्ति ने सरकारी वकीलों के माध्यम से इन्हें औपचारिक ड्रेस में आने के निर्देश दिए हैं। अदालत में बुधवार को नगर निगम आयुक्त एमएम हनीफी मुख्य न्यायाधीश के समक्ष जवाब देने पहुंचे। उस समय उन्होंने सफेद हाफ शर्ट तथा पैंट पहन रखी थी। मुख्य न्यायाधीश ने इसके पूर्व भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को फटकारा था, जो जींस व हाफ शर्ट में आए थे। न्यायिक अधिकारियों का कहना है कि अदालत में पेश होने वाले वकीलों के लिए ड्रेस कोड लागू होता है। सरकारी अधिकारियों पर भी ड्रेस कोड लागू होना जरूरी है। सरकारी अधिकारियों को औपचारिक पैंट, शर्ट, कोट एवं टाई पहन कर आना चाहिए।
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5 comments:
ये न्यायाधीश महोदय का व्यक्तिगत और निजी विचार है जो उन्होंने निर्णय के रूप में लाद दिया है. कल को कोई बोलेगा कि भारत की वेश भूषा तो धोती कुर्ता है. ये पश्चिमी सभ्यता का पैंट शर्ट कहाँ से आ गया?
जींस और ह़ाफ शर्ट तो आम आदमी के औपचारिक और अनौपचारिक हर तरह के पहनावे में आ चुका है. यह निर्णय दुर्भाग्य पूर्ण है. हर सरकारी संस्थान कोई स्कूल या कॉलेज या पुलिस-सेना जैसी संस्थाएँ नहीं हैं जहाँ कोई ड्रेस कोड लागू हो!
ये तो सरासर हिटलरशाही है।
एक अनावश्यक कसरत. ड्रेसकोड क्यों? क्या लोग नंगे आ रहे थे?
शायद न्यायाधीश महोदय को ऐसा लगता होगा कि औपचारिक ड्रेस पहनने से सोच भी बदलती हो... तभी तो ऐसा निर्णय लिया :)
मैने तो आप सब अवमानना के दोशी दिख रहे हो भाया
मेरा के मैने तो न कुछ पढा ना लिखा न मै यहा आया
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