जैसे-जैसे इंटरनेट तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच हो रही है, ब्लॉगिंग की पॉप्युलैरिटी भी बढ़ रही है। ऐसे में ब्लॉग तेजी से एक ऑप्शनल मीडिया का रूप ले रहा है।
इंटरनेट पर लगातार बढ़ रही ब्लॉग्स की तादाद के बारे में आपने सोचा है? ये ब्लॉग तेजी से ट्रडिशनल मीडिया के ऑप्शन के रूप में उभर रहे हैं। ब्लॉग्स की पॉप्युलैरिटी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में ऐसा भी वक्त आएगा, जब लोग देश-दुनिया की खबरें जानने के लिए न तो टीवी से चिपके रहेंगे और न ही सुबह होते ही अखबार का इंतजार करते मिलेंगे। ब्लॉग्स न केवल तेजी से सूचनाएं मुहैया कराने का जरिया बन रहे हैं, बल्कि पल भर में लोगों को किसी मुद्दे पर अपनी राय दुनिया तक पहुंचाने का मंच भी मुहैया करा रहे हैं।
ब्लॉगिंग के मौजूदा ट्रेंड पर नजर डालें, तो पता चलता है कि अभी इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से जेन-एक्स ही इन्वॉल्व है। भले ही ब्लॉगर्स में ज्यादा तादाद युवाओं की हो, लेकिन इसमें विषयों की पूरी वैरायटी मिलती है। यानी आपको किसी भी विषय पर ब्लॉग मिल जाएंगे। आप टीनएजर्स के ऐसे कई ब्लॉग्स देख सकते हैं, जहां वे अपनी जिंदगी, नाकामयाब रिश्तों आदि के बारे में बात करते हैं। कई प्रफेसर्स अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाई के टिप्स देने के लिए भी ब्लॉग का इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं, तमाम सुनी-अनसुनी, कही-अनकही और विश्वसनीय या अविश्वसनीय बातों या मुद्दों से संबंधित ब्लॉग आपको मिल जाएंगे। कुल मिलाकर कहें, तो ब्लॉग्स के दायरे से कोई भी टॉपिक, सब्जेक्ट या इशू अछूता नहीं रह गया है।
इंटरनेट ऐंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया के असोसिएट वाइस प्रेजिडेंट मेहुल गुप्ता कहते हैं, 'ब्लॉग अल्टरनेटिव मीडिया के रूप में उभर जरूर रहा है, लेकिन अभी यह शुरुआती अवस्था में ही है। हां, यह लोगों की दमदार आवाज के रूप में जरूर सामने आ रहा है।' ब्लॉग अभी भले ही शुरुआती दौर में हो, लेकिन भारत में जिस रफ्तार से इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उसे देखते हुए स्थिति तेजी से बदलने की उम्मीद बंधती है। एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया में कुल इंटरनेट इस्तेमाल का 36 फीसदी एशिया के खाते में है।
एशिया में पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंटरनेट के इस्तेमाल में जहां 258 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं भारत के मामले में यह आंकड़ा 700 फीसदी रहा। ऐसे में फुल-टाइम ब्लॉगर धीरज सिंह की इस बात में दम लगता है, 'मौजूदा प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद तीसरे विकल्प के रूप में ब्लॉग्स तेजी से उभर रहे हैं।' किसी भी तरह की जानकारी के लिए ब्लॉग पर निर्भर रहने वाले, इंजीनियर मुनीर हैदर कहते हैं, 'ब्लॉग्स में ऑप्शनल मीडिया की जगह लेने की ताकत है। जब देश में ज्यादा से ज्यादा लोग इंटरनेट यूज़ करने लगेंगे, तब तो ब्लॉगिंग के विकास की कोई सीमा ही नहीं रह जाएगी। जब तक ऐसा नहीं हो रहा है, तब तक ब्लॉग्स लोगों के लिए अपनी आवाज़ रखने के नए विकल्प के रूप में जगह बना रहे हैं।' नवभारत टाइम्स से साभार
4 comments:
सही है। अच्छा है कि अब इसे अखबार भी जगह दे रहे हैं।
बहुत सही. काश ,हमारा भी कोई नाम छाप देता. :)
"ब्लॉगिंग के मौजूदा ट्रेंड पर नजर डालें, तो पता चलता है कि अभी इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से जेन-एक्स ही इन्वॉल्व है।"
हिन्दी ब्लॉगिंग के मामले में ये बात सही नहीं, यहाँ जेन-एक्स की ही कमी है। अधिकतर चिट्ठाकार 30 पार हैं।
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