
मुंबई ट्राफिक पुलिस के कांसटेबल के साथ चार पांच लड़के भी थे, जो इस टोइंग गाड़ी के साथ दुपहिया, चौपहिया उठाने के लिए हमेशा रहते हैं। इस मारुति वैन को वे चाहते थे वैसे ही उठाकर ले जा सकते थे। लेकिन मेरे सहित वहां खड़े तकरीबन 20 व्यक्तियों ने देखा कि ट्राफिक कांसटेबल के कहने पर तीन लड़कों ने प्लास्टिक की सी पतली पत्ती निकाली और ड्राइवर साइड के दोनों विंडों की ओर उन्हें घुसेड़कर गाड़ी का लॉक दस सेकंड में खोल दिया। इस लॉक के खुलते ही मारुति वैन के दरवाजे भी खुल गए।
मारुति वैन में एक बैग भी रखा था जिसकी तलाशी उस कांसटेबल ने आगे जाकर ली होगी क्योंकि तभी लोग उस कांसटेबल से कहने लगे कि इसमें तो बैग रखा है। सभी यह कह रहे थे कि मारुति वैन को वैसे भी ले जाया जा सकता था तो पत्ती के माध्यम से लॉक क्यों खोला गया। पुलिस वाले के कहने पर जब सब के सामने लॉक खोला गया तो क्या इस तकनीक को दूसरों ने नहीं सीख लिया। क्या ये लड़के जो इतना कुछ जानते हैं दूसरों को यह तकनीक नहीं सिखाते होंगे। क्या ये लड़के राजा हरिशचंद्र के वंशज है जो खुद कभी कार चोरी में शामिल नहीं होंगे पैसे के लालच या किसी मजबूरीवश। इन सभी सवालों सहित अनेक सवालों के जवाब नहीं है हमारे सामने।
3 comments:
wah ri me mumabi police
आज यकीन हो गया कि हमारे देश की सुरक्षा जिम्मेदार हाथों में है।
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