March 30, 2007

वेब पत्रकारिता का भविष्‍य....खुला न्‍यौता सभी को


रायपुर से प्रकाशित मीडिया विमर्श पत्रिका अपना अगला त्रैमासिक अंक वेब पत्रकारिता का भविष्‍य पर प्रकाशित करने जा रही है। पत्रकारिता और मीडिया को लेकर यह एक बेहतर पत्रिका कही जा सकती है, हालांकि इस पत्रिका यह चौथा अंक होगा लेकिन इंडिया टुडे और हिंदी आउटलुक सहित अनेक अखबारों और पत्रिकाओं ने जिस तरह इस पत्रिका के बारे में लिखा है, वह आप सभी ने देखा होगा। चौथे अंक का अतिथि संपादक होने के नाते मैं चाहता हूं कि मेरे सभी ब्‍लॉगर साथी इस पत्रिका में अपने लेखन का योगदान दें। आप सभी को अलग अलग न्‍यौता भेजने के बजाय खुला न्‍यौता दे रहा हूं कि जो भी वेब पत्रकारिता के भविष्‍य पर कुछ लिखना चाहे, वह अपनी सामग्री भेज सकता है। शब्‍दों की सीमा नहीं है। आप चाहे तो वेब पत्रकारिता के अलग अलग विषयों को चुनकर भी लेख भेज सकते हैं। मसलन भारत में इसका भवष्यि...दुनिया में बदले हैं इसके रंग रुप....वेब पत्रकारों को मिलें सरकारी मान्‍यता...भविष्‍य तभी उज्‍जवल जब बदले तेजी से तकनीकी...वेब पत्रकारिता और कानून...आदि...आदि।

लेख हिंदी या अंग्रेजी किसी भी भाषा में हो सकता है। हिंदी में लेख भेजें तो मंगल फोंट का इस्‍तेमाल करें तो बेहतर अन्‍यथा अपने फोंट की फाइल या पीडीएफ फाइल में लेख भिजवा दें। लेख भेजने की आखिरी तारीख दस अप्रैल। लेख के साथ अपना फोटो और पता भेजें ताकि आपको पत्रिका भेजी जा सके। अपने बारे में कुछ विवरण भी दें ताकि लेख में फोटो और विवरण को भी प्रकाशित किया जा सके। ईमेल : kamaljalaj@gmail.com

डॉलर और डंडा...


मुंबई नगरिया की फैमस होटल ताज के सामने खड़े होकर गेटवे ऑफ इंडिया का जायजा ले रहे थे कि कैसे इंग्लिश मैन यहां से मुंबई में घुसे थे। तभी एक गोरी चमड़ी वाला मेरे पास आया और हल्‍का मुस्‍काया। हमने सोचा इस गेट पर खड़े होकर इनका स्‍वागत करना हम हिंदुस्‍तानियों का फर्ज है या‍ फिर बाप दादाओं पर चढ़ा कोई कर्ज, जिसे पूरा करना होगा। हम भी मुस्‍काएं और चाल ढाल से साफ पता चला तो सीधा पूछा यू ऑर कमिंग फ्रोर्म यूएसए...। यस...यस...हमारा अगला सवाल सपाट...वॉट इज न्‍यू विद बुश। वह बोला....डॉलर एंड डंडा। हम चौके यह डंडा कब लंदन से वाशिंग्‍टन पहुंच गया क्‍योंकि अंग्रेजी तो हम पर डंडा यूज करते थे। यह तो हिंदी का डंडा है...वह बोला नो...इट इज अमरीकन डंडा। खूब उत्‍सुकता जगी तो पूछा यार सीधे सीधे बताओं यह है क्‍या। वह बोला यार बोला तो सुना..हम अमरीकनों के जो यार हैं वहां डॉलर चलता है जो हमारे डॉलर के दुश्‍मन वहां डंडा। यूं तो कहा जाता है कि सारी दुनिया में डॉलर चलता है लेकिन अब कुछ बदमाश डॉलर को चलने नहीं दे रहे सो हमने नई नीति में डंडा अपना लिया। अब चाहे कोई देश हो वियतनाम या इराक, अफगानिस्‍तान अथवा ईरान। यह लिस्‍ट लंबी है हम तो चाहते हैं कि डॉलर विरोधी सारी जगह पर डंडा चलाया जाए... इस लिस्‍ट के कुछ नाम बता दूं‍ जैसे सीरिया, जार्डन, क्‍यूबा, म्‍यांमार, उत्‍तरी कोरिया। वह बोला तुम्‍हारे यहां एक कहावत है तेल देखो, तेल की धार देखो...हम कहते हैं कि तेल और तेल की धार दोनों हमें नहीं दिखाई तो डंडा देखो। अमांयार इस छोटे से देश ईरान की गर्दन इतनी लंबी हो गई कि कहता है पैमेंट डॉलर में नहीं लेगा....हमें कहता है कि पहले तुम परमाणु हथियार बनाना बंद करो..फिर हम बंद करेंगे। पैमेंट डॉलर में नहीं लेगा तो डंडा जरुर लेगा....वैसे भी हमारे बुश साब पंगा लेने में बहुत आगे हैं। तु डॉलर मत लें हम पंगा लेंगे। हमने कहां कि कहावत तो यह भी है कि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। उसने पलट कर कहा कि तेल भी हमारा होगा और राधा भी। इराक में सद्दाम की गर्दन नापकर तेल भी हमारा हो गया और वहां राज भी हमारा यानी राधा भी हमारी। हमने कहा कि यार तुम लोग पंगा करते ही क्‍यों हो...उसने कहां हम नहीं करते...ये तुम काली चमड़ी वाले करते हो...ब्राड माइंड से सोचते नहीं। कर भला, हो भला..तुम लोग हमारा भला करो, हमारा तुम्‍हारा भला करेंगे। मैंने पूछा वो कैसे। वह बोला...हम तुम्‍हारे बाजारों, कारखानों, सरकार के बंदों सब जगह घुसपैठ कर लेंगे एमओयू पर साइन करवा कर। जब हमारा सामान बिकेगा तो तुम्‍हारा बनेगा ही नहीं...कच्‍चे माल के आयात और बने माल के निर्यात से तुम्‍हारी मुक्ति। सब जगह हमारा माल....हमारी दुकान। इस तरह होगा तुम्‍हारा भला। बुश साब ने आज तक किसी का बुरा नहीं चाहा...लेकिन जो डॉलर के साथ पंगा लेता है वहां वे डंडा बजाना नहीं भूलते। हमने कहा कि वैसे इस नारे पर कॉपीराइट हमारा है...क्‍योंकि जैसे हमारा नारा है बंटी और बबली...उसी तर्ज पर बना है यह डॉलर और डंडा। उसने कहा कि चुप रहो...कौन सा कॉपीराइट...हमारे पास डंडा है। मार देंगे एक खोपड़ी में। तुम क्‍या समझते हो कि हम तुम्‍हारे साथ दोस्‍ती कर रहे हैं तो सिर चढ़ जाएं। खाड़ी के ज्‍यादातर देशों में हमारे सैनिक पहुंच ही चुके हैं। वहां रामधुन जमा ली है, अब नहीं हटेंगे। इराक हमारी मुट्ठी में है। अफगानिस्‍तान में राज किसका, हमारा। पाकिस्‍तान चेला किसका हमारा। बाकी जो बचे हैं वे भी हमारे डंडे के जोर पर जेब में होंगे। अब हमारे घर जाने का वक्‍त हो गया था सो बोले चलते हैं, वह बोला सुनते जाओ। एक दिन पाकिस्‍तान में घुस जाएंगे और तुम्‍हारी भी वाट नहीं लगा दी तो बोलना। अपना फोरेन करेंसी भंडार डॉलर पर ही रखना और अमरीकन कंपनियों को अपने यहां राज करने देना....पेप्‍सी, कोक या किसी और को भगाना मत नहीं तो यहां से तुम्‍हें भगा देंगे। पाकिस्‍तान में जिस दिन पहुंचे हिंदुस्‍तान में भी टांग घुसेडेंगे..घेरना तो हमें चीन को है और यह काम तुम्‍हारी धरती से करेंगे एक दिन। समझ गए ब्‍लैक मैन...यह है डॉलर और डंडा।

मंगल पांडे नायक नहीं थे...लीला सरुप नायक थीं


मंगल पांडे भारत के पहले स्वतंत्रता संघर्ष 1857 के सैन्य विद्रोह के नायक नहीं थे। द ट्रायल आफ मंगल पांडे पुस्तक की लीला सरूप का कहना है मंगल पांडे नायक नहीं थे। वह एक सिपाही थे। नशे की हालत में उन्होंने अपने साथी सिपाहियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने साथ एकजुट होने को कहा, लेकिन कोई भी उनके साथ नहीं गया और वह अकेले रह गए। लीला ने कहा कि उनकी पुस्तक मंगल पांडे के खिलाफ चली सुनवाई से संबंधित सरकारी रिकार्ड और दस्तावेज पर आधारित है। कोलकाता में जन्मी लेखिका ने कहा कि अगर आप सच्चाई जानना चाहते हैं, तो जनवरी 1857 से पूरे रिकार्ड को देखिए। यह आपको सिपाही विद्रोह के समय के हालात के बारे में जानकारी देगा। बहरहाल, उन्होंने यह भी दावा किया कि बरहामपुर की रेजिमेंट के सिपाही वास्तविक नायक थे क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों का आदेश मानने से मना कर दिया था। इसके कारण पूरी रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था। थोड़े दिन बाद लीला जी की कुछ किताबें और आएंगी जिनमें लिखा होगा कि पुराना रिकॉर्ड देखिए कई क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने आतंककारी बताया था। उस समय अंग्रेज ही रिकॉर्ड लिखते थे, सो कुछ भी लिख सकते थे। शायद राष्‍ट्रपिता तक को कुछ और बता दिया जाए जो रिकॉर्ड लीला जी के हाथ लगे उसमें।

हिंदी का विरोध करना सही...सिखाओं इस विधायक को सबक


हिंदी का विरोध करना सही...सिखाओं इस विधायक को सबक इस शीर्षक से दर्ज की गई खबर पूरी तरह ब्‍लॉग पर नहीं दिख रही है। इस ओर मेरा कई ब्‍लॉगर ने ध्‍यान खींचा है, इसके लिए धन्‍यवाद। यह खबर आज कोशिश होगी कि आपको पूरी तरह दिखे। हालांकि, मैं आपको बता दूं कि तमिलनाडु विधानसभा में एक एंग्‍लो इंडियन विधायक ने साफ कहा है कि हिंदी का विरोध होना चाहिए और वह इसके लिए डीएमके को धन्‍यवाद भी देते हैं। यदि हिंदी का विरोध नहीं हुआ तो वह तमिल और अंग्रेजी को चट कर जाएगी। पूरी खबर हर संभव जल्‍दी दर्ज की जाएगी।
तमिलनाडु में हिंदी लागू करने के विरोध को उचित ठहराते हुए राज्य विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य ने यह कहते हुए तमिलों से अंग्रेजी का विरोध नहीं करने की अपील की कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में यह उनके लिए उपयोगी साबित होगा। नामांकित सदस्य आस्कर सी निगली ने दावा किया कि हिंदी का विरोध करना गलत नहीं है क्योंकि यह भाषा तमिल और अंग्रेजी को नष्ट कर देगी। तमिल को सभी स्तरों पर माध्यम बनाए जाने की लगातार की जाने वाली मांग के जाहिरा तौर पर संदर्भ में कहा, लेकिन अंग्रेजी के विरोध को उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि तमिल खुद तमिलनाडु में जीवित नहीं रहेगी। तमिलनाडु में स्कूली शिक्षा के सभी बोर्ड में समान पाठ्यक्रम लागू करने संबंधी राज्य सरकार के फैसले पर निगली ने सरकार से इस संपूर्ण मुद्दे को सावधानीपूर्वक विचार करने की राय दी। द्रमुक सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी इसे अल्पसंख्यक सरकार करार दे रहा है। मेरा मानना है कि वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह अल्पसंख्यकों के लिए बनी सरकार है। उन्होंने कहा कि यह द्रमुक सरकार ही थी जिसने धर्मातरण विरोधी कानून को समाप्त किया जिसे पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार ने लागू किया था।

March 29, 2007

मासूम के गुप्‍तांग में तलवार....दुष्‍ट पुलिस को हड़काओं यारो


बलात्‍कार की शिकार एक युवती के बयान नहीं बदलने पर बलात्‍कार के आरोपियों ने उसकी पांच साल की मासूम बेटी के गुप्‍तांग में तलवार घोंप दी और पुलिस हर कार्रवाई को टाल रही है। राजस्‍थान जहां की मुख्‍यमंत्री भी एक महिला है, के अलवर थाने में पुलिस ने पहले तो बलात्‍कार की शिकार युवती की रिपोर्ट ही लिखनी नहीं चाही और जब बाद में अदालती इस्‍तगासे से मामला दर्ज भी किया गया तो आरोपियों को गिरफ्तार ही नहीं किया। बेहद गरीब परिवार की इस बच्‍ची का उपचार यहां सामान्‍य अस्‍पताल में चल रहा है, लेकिन वह दर्द के कारण बार बार चीख उठती है। यह घटना अलवर जिले की तिजारा थाना क्षेत्र के सरेटा गांव की है, जहां पिछले साल 20 अक्‍टूबर की रात आरोपियों फजरुद्दीन और इलियास ने गांव की एक युवति के साथ बलात्‍कार किया था। अदालत ने नवंबर में मामला दाखिल करने को पुलिस को कहा, मामला दाखिल हुआ लेकिन पकड़ा किसी को नहीं। बलात्‍कारी बार बार युवति को धमकाते रहे और तमाम हदों को पार करते हुए पीडि़त युवति की पांच वर्षीय बेटी को अपना निशाना बनाया। हथियार लेकर आए इन बदमाशों ने बालिका को सरेआम नंगाकर गुप्‍तांग में तलवार से प्रहार कर दिया। और कहा कि बयान वापस नहीं लिए तो इससे भी बुरा अंजाम होगा। मीडियाकर्मियों और ब्‍लॉगरों से मेरा अनुरोध है कि इस घटना की जमकर निंदा करें और पुलिस व प्रशासन की नींद उड़ाने के लिए इस न्‍यूज की ओर उनका ध्‍यान खींचे ताकि एक मासूम बच्‍ची और उसकी मां को न्‍याय मिल सके।

March 28, 2007

बिहार का एक और बदसूरत चेहरा....


बीबीसी हिंदी वेबसाइट ने एक खबर दी है कि बिहार में एक व्‍यक्ति जवाहर मांझी जो एक खेतिहर मजदूर है को 40 किलो चावल के बदले लगभग 30 साल तक बंधुआ मजदूरी करनी पड़ी। अब राज्‍य सरकार इस मामले की जांच कर रही है। सरकार का कहना है कि जांच की जा रही है और कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी। लालू जी और नितीश जी पूरे बिहार को छान मारिए कई भुजबल और धनबल जी मिल जाएंगे जो आपकी नाक के नीचे ही ढ़ेरों लोगों का शोषण्‍ा कर रहे हैं। लेकिन आपको कहां फुरसत है कुछ करने की...पढि़ए पूरी खबर बीबीसी हिंदी पर :

यह कैसी मां....?


उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक महिला ने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए सुपारी देकर खुद अपनी ही बेटी की हत्या करा दी। पुलिस के अनुसार थाना चांदपुर के गांव नारनौर में गत तीन फरवरी को नीता नाम की एक लड़की को गोली मार दी गई थी। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
पुलिस ने इस मामले में समरपाल और अनंतराम नाम के दो व्यक्तियों को पकड़कर जब पूछताछ की तो सच्चाई सामने आ गई। इन दोनों ने बताया कि उन्होंने नीता को उसकी मां के कहने पर ही गोली मारी। इस काम के लिए उन्हें 10 हजार रुपये दिए गए। पुलिस ने नीता की मां सहवती को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो पता चला कि उसने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए ऐसा कराया। जागरण डॉट कॉम से साभार।

March 27, 2007

मिस्र में ब्‍लॉगर को जेल

मिस्र में एक अदालत ने इंटरनेट के जरिए ब्‍लॉग लिखकर इस्‍लाम और राष्‍ट्रपति की बेइज्‍जती करने के आरोप में अब्‍दुल करीम सुलेमान नामक व्‍यक्ति को चार साल की जेल की सजा सुनाई है। पूरी खबर....बीबीसी की हिंदी वेबसाइट पर
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2007/02/070222_egypt_blogger.shtml

यानी अब ब्‍लॉग लिखते समय ध्‍यान रखिए मान और मर्यादाओं का अन्‍यथा मिस्र के बाद अब दूसरे देशों खासकर भारत में भी उल्‍टे पुल्‍टे लेखन के लिए हो सकती है सजा..

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