tag:blogger.com,1999:blog-1666572152673421476.post1043915411862942057..comments2011-09-25T17:05:07.938+05:30Comments on कमल शर्मा: इस देश में रहना है तो बेटा ही पैदा करना होगाचलते चलतेhttp://www.blogger.com/profile/00891524525052861677noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1666572152673421476.post-34026369125110549782007-04-03T14:44:00.000+05:302007-04-03T14:44:00.000+05:30अच्छा लेख लिखा है। मैं तो एक बात जानती हूँ कि यदि ...अच्छा लेख लिखा है। मैं तो एक बात जानती हूँ कि यदि संतान पैदा की है तो अच्छे माता पिता बनो। कोई भी बच्चा अपनी इच्छा से संसार में नहीं आता। रही बात श्रीश जी के यह कहने कि बेटा बेटी दोनों होने चाहिये तो भाई बाज़ार से सब्जी तो ला नहीं रहे कि आलू और भिंडी दोनों लाओगे। जो भी संतान हुई उसको अच्छे से पालो बड़ा करो, उससे स्नेह करो। <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1666572152673421476.post-5583851277950389702007-04-03T08:41:00.000+05:302007-04-03T08:41:00.000+05:30बेटे की चाह में ऐसा जघन्य अमानवीय काम करने ऐसे नरा...बेटे की चाह में ऐसा जघन्य अमानवीय काम करने ऐसे नराधम की निंदा के लिए शब्द नहीं हैं। इसके लिए तो फांसी की सजा भी कम है।<BR/><BR/>वैसे बात लड़का-लड़की की है तो एक बात क्लियर कर दूँ कि बेटे की चाह सभी को होती है। मैंने अच्छे अच्छे लोग देख लिए जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं लेकिन बहू के बेटा न होने से परेशान रहते हैं। दरअसल एक तो बेटे का होना भारतीय संस्कृति में धार्मिक महत्व रखता है पित्रों को तर्पण का अधिकार बेटे को ही होता है। लेकिन ऐसा कहते हुए वे भूल जाते हैं कि कन्यादान को भी शास्त्रों में महान पुण्य बताया गया है।<BR/><BR/>दूसरा लोग सोचते हैं कि बेटा बुढ़ापे में उनका सहारा बनेगा। अब इस बात के विरोध में कई लोग कहते हैं कि बेटे बुढ़ापे में नहीं पूछते लेकिन अपवाद तो हर जगह होते हैं, आम तौर पर यह तो सच है कि घर में बुजर्गों की देखभाल के लिए कोई तो होना चाहिए। बेटी तो ससुराल जा चुकी होगी, क्या ससुराल में उसके घर जाकर रहें।<BR/><BR/>रही बात नालायक की तो वो तो कोई भी निकल सकता है। कटु सत्य है लेकिन बेटी नालायक हुई तो ज्यादा बदनामी होगी।<BR/><BR/>तो मेरी राय क्या है?<BR/><BR/>बेटा और बेटी दोनों होने चाहिए, दोनों समान महत्व के हैं। उनमें आपस में लेकिन कोई फर्क नहीं किया जाना चाहिए, दोनों को समान अवसर मिलने चाहिए।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1666572152673421476.post-64870455095864676172007-04-03T06:46:00.000+05:302007-04-03T06:46:00.000+05:30अपना देश एक साथ कई शताब्दियों में जीता है। मिर्जाप...अपना देश एक साथ कई शताब्दियों में जीता है। मिर्जापुर के ये राजमणि अब भी मध्ययुग में जी रहे हैं!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1666572152673421476.post-1598004781811369832007-04-02T13:06:00.000+05:302007-04-02T13:06:00.000+05:30is desh ka kuch nahi ho sakta hain..jahan aaj bhi ...is desh ka kuch nahi ho sakta hain..jahan aaj bhi andvishvas ke sath avisvas ki jad zami hui hian..<BR/><BR/>AshishAnonymousnoreply@blogger.com